
अब शिकायतें तुम से नही मुझे खुद से हैं,
माना के सारे झूठ तेरे थें,
लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था!!
Ab Shikayatein Tum Se Nahi
Mujhe Khud Se Hain,
Mana Ke Sare Jhooth Tere They
Lekin Un Par Yakin To Mera Tha!
वो इतनी दूर रहने वाला शख्स,
टकराया भी तो सीधा दिल से…

फुरसत मिले तो कभी
बैठकर सोचना…
तुम भी मेरे अपने हो,
या सिर्फ हम ही तुम्हारे हैं?
तुमसे नजर मिली तो जाना इश्क क्या है,
चाहत हुई तो दिल ने माना इश्क क्या है
अब तो तेरी याद में सुबह शाम गुजरते हैं,
तुमसे दूर रहके पहचाना इश्क क्या है!

चिंता मत कर बहुत दूर चला जाऊंगा तुमसे,
वैसे भी बहुत परेशान है तु मुझसे…

कुछ ख्वाहिशों का अधूरा रहना ही ठीक है,
कम से कम जिंदगी जीने की
चाहत तो बनी रहती है!
इश्क की नासमझी में,
हम सब कुछ गवा बैठे,
जरूरत थी उन्हें खिलौने की
हम अपना दिल थमा बैठे!

मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं,
तेरी सूरत के सिवा कुछ याद नहीं,
मैं हूँ फूल तेरे गुलशन का,
तेरे सिवा मुझ पे किसी का हक़ नहीं!
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