कृष्ण भक्ति की छाँव में दुखों को भुलाओ
सब मिलकर प्रेम-भक्ति से हरि गुण गाओ
आपको कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
Krishna Bhakti Ki Chav Mein, Dukhon Ko Bhulao….
Sab Milkar Pream-Bhakti Se Hari Gun Gao!!
Aapko Krishna Janmashtami Ki Hardik Subhkamnaye!
Happy Janmasthmi
जन्माष्टमी के इस अवसर पर,
हम ये कामना करते हैं कि
श्री कृष्ण की कृपा आप पर,
और आपके पूरे परिवार पर हमेशा बनी रहे।
शुभ जन्मआष्टमी!
गोकुल में जिसने किया निवास,
उसने गोपियों के संग रचा इतिहास,
देवकी-यशोदा जिनकी मैया,
ऐसे है हमारे कृषण कन्हैया!
शुभ जन्मआष्ट्मी!
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा,
एक मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा..
जय श्री कृष्ण
आओ मिलकर सजाये नन्दलाल को,
आओ मिलकर करें उनका गुणगान!
जो सबको राह दिखाते हैं,
और सबकी बिगड़ी बनाते हैं!
शुभ जन्मआष्ट्मी!
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नन्द के घर आनंद ही आनंद भयो,
जो नन्द के घर गोपाल आयो,
जय हो मुरलीधर गोपाल की ,
जय हो कन्हिया लाल की
Happy Janmashtami.
प्रेम से श्री कृष्ण का नाम जपो,
दिल की हर इच्छा पूरी होगी,
कृष्ण आराधना में लीन हो जाओ,
उनकी महिमा जीवन खुशहाल कर देगी।
कृष्ण जिनका नाम,
गोकुल जिनका धाम,
ऐसे श्री कृष्ण भगवान को
हम सब का प्रणाम,
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई.
मुझे भाये तेरा ये रंग श्याम पिया
नहीं चाहिए ये तन गोरा
रंग दे मुझको तू रंग श्याम पिया
लाल पीला गुलाबी हरा
लगा रंग नीला मुझे श्याम पिया
दधि माखन न भाये मुझे
मटकी साबुत चाहूँ श्याम पिया
बजी बांसुरी सुध मैं भूली
मुझे दिखता बस तू श्याम पिया
हैं छलिये ये तेरे नैन बड़े
छिछोरी करे मुझसे श्याम पिया
सखियाँ छेड़े तेरे नाम से
मन ही मन शरमाऊं श्याम पिया
चुनरी मेरी तू लेजा संग
नीलाम्बर तेरा चाहूँ श्याम पिया
छुअन से तेरी सिहरन हो
तन मन बहके मेरा श्याम पिया
आँखों से तेरी जो छलके
कम नहीं अमृत से श्याम पिया
गीत भजन से तृप्ति नहीं
गीता मर्म सुना दो श्याम पिया
जीवन ये तृष्णा का डेरा
पद माटी में ब्रह्मांड श्याम पिया
सिंदूर का बंधन क्या जो
श्याम से आगे राधे श्याम पिया
जन्म मरण से पार हमारा
संग पारलौकिक हो श्याम पिया
मुझे भाये तेरा ये रंग श्याम पिया
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कृष्ण जनमाष्टमी की सभी को सहृदय ढ़ेर सारी शुभकामनाएं 🙏
वो गोविन्द भी है ; गिरधारी है,
श्यामल तन कुंज बिहारी है…
गऊओं का गोपाल है वो,
ब्रज का वो कृष्ण मुरारी है…
नंदबाबा का नटखट कान्हा,
जिसको श्री राधे प्यारी है…
गोकुल का माखनचोर है वो,
सबकी सुध उसने बिसारी है…
रुक्मिणी के स्वामी है वो,
और ब्रजबाला संग रास रचाई है…
इस तुच्छ मुख से क्या बताऊँ ,
उस मोहन के बारे में…
उसकी इक मुस्कान पर तो ,
करोड़ों ब्रम्हांड बलिहारी है…
तुम ही माया वैराग भी तुम हो
अंतरतम को ज्योतित करती हवनकुंड की आग भी तुम हो।
तुम बचपन की स्मृति मधुर, यौवन का अभिमान भी तुम हो।
जड़ में तुम चेतन में तुम हो, मनवता के प्राण भी तुम हो ।
जन्म मरण के बन्धन तुम हो, ज्ञानी का निर्वाण भी तुम हो।
अबला द्रौपदी की तुम पुकार, रणचण्डी का संहार भी तुम हो।
ब्रह्माण्ड सकल के आदि बिंदु, गत और अनागत काल भी तुम हो।
तुम काव्यों के हो छन्द अमर, गीतों में लय ताल भी तुम हो।
तुम पीड़ा हो, तुम ही मुक्ति, तुम बाधा हो ,तुम ही युक्ति
तीसरे नयन की अग्नि विनाशक, सृजनकर्ता काम भी तुम हो।
मन में तुम हो, तन में तुम हो, जीवन के आयाम भी तुम हो।
-Ashutosh Rai
कान्हा जी कहते है की
मैं विधाता होकर भी विधि का विधान नही बदल पाता हूं
चाह मेरी राधा, चाहे मुझे मीरा
चाह मेरी राधा, चाहे मुझे मीरा
और मैं रुक्मणी का हो जाता हूं।
Happy Jnmasthmi🙏
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