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ये रंगो का त्यौहार आया है,
साथ अपने खुशियाँ लाया है,
हमसे पहले कोई रंग न दे आपको,
इसलिए हमने शुभकामनाओं का रंग,
सबसे पहले भिजवाया है!
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
Ye Rangon Ka Tyohar Aaya Hai,
Sath Apne Khushiya Laya Hai,
Humse Pehle Koi Rang Na De Aapko,
Isliye Humne Subhkamnaon Ka Rang
Sabse Pahile Bhijwaya Hai!
**Aapko Holi Ki Hardik Subhkamnaye!**
होली से पहले ही रंगों से घिर गई हूं
बदलते रंगों का हिसाब कर करके थक गई हूं
लो रख दी मैंने कलम नीचे
और मैं पीठ फेर रही हूं
क्यूकि दोस्तो को आंखो आगे
रंग बदलते देख मैं टूट रही हूं
है माह माघ ये, है इंतजार फागुन के आने का
क्योंकि सबको प्रेम के रंग से रंगने, त्योहार है होली का आने का।
है नहीं त्यौहार सिर्फ ये, सबको रंग गुलाल लगाने का
है ये इसलिए भी दुश्मन को गले लगाने का, दुश्मन को भी रंग लगाने का।
सबको प्रेम के रंग से रंगने, त्योहार है होली के आने का।
पूरे साल तुम्हारा
इंतज़ार करती हूं
कि कब फागुन आए
और तुम एक बार
फिर आकर मेरी
रूह को रंग जाओ मोहन …
आ जाओ अब तो श्याम,
बहुत हुई ये आँख मिचौली|
आया है अब बसंत प्यारे,
आओ अब मिल खेलें होली|
# बस एक तुम # राधे राधे
खुदा ने कोई रंग ना छोड़ा।
अब हैरां हु में,
किस रंग मे रंगु तुझे।
ये होली भी रंगों से फिर बेरंग हो जाएगी
तुम आए हो पर ख़लिश के रंग साथ लाए हो
वो रंग कहाँ है जो वस्ल-ए-यार का हो
बाब-ए-करम वा करो मुझपर थोड़ा रंग लगाने दो तुमपर,
चला जाऊँगा फिर से अभी तो रंग लगाने दो तुमपे
लाया हूँ तुम्हारे सानेहा के रंग इस ज़र्फ में भरकर
हर किसी के किस्मत में नहीं होता,
अपने चांद को छु जाना।
खुशनसीब हूं मैं इस होली,
तुझे रंग लगा के आया हूं।।
जब भीग चुका मैं तेरे रंग में,
तो ये वर्षा क्या मुझे भिगाये रे,
जब भीग गया अंग अंग मेरा,
तो ये पुरवइया क्या मुझे सुखाए रे,
न मेरे हाथ थी कोई पिचकारी,
न तुमने की थी कोई जोरा जोरी।
क्या जीवन की ये होली,
अब एक तरफी खेली जाए रे,
अब भीग चुका अंग अंग मेरा,
तू जितना चाहे, मुझे भिगाये रे,
पहली होली तेरे अंगना, खेले राधा श्याम
सखियों संग न्योता आयो, नंद बाबा के धाम
नाचे गए उल्लास संग, उड़े रंग गुलाल
एक बार हम आयेंगे, फिर आना हमारे गाम
जब होली पास आने लगी हैं
रंगो की फुहार आने लगी है
गुलालो की महक छाने लगी है
मेरी होली तुझसे बनी है
Happy holidays
हर पहर यहां रंगो का मजमा है
सूरज चांद की आंखमिचौली है
ये सांझ जो रंगोली है
बादलों ने खेली होली है
है अबीर बिखेरा सूरज ने कैसे,
चांदनी भी कहां कम नीली है
दरखशान सितारों को ओढ़े,
स्याह रात अंधेरी है
फिर केसरी सी सुबह खिली है
सूरज चांद की आंखमिचौली है
हर पहर है रंगो का मजमा,
ये आस्मा की होली है।
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