
आईना कोई ऐसा बना दे! ऐ खुदा!
जो इंसान का चेहरा नहीं…
किरदार दिखा दें!
Aaina Koi Aisa Bana De!
Aye Khuda…
Jo Insaan Ka Chehra Nahi..
Kirdaar Dikha De…!!
नही देखते हैं वो आईना कोई दिखाओ उन्हें
परत दर परत चेहरे उतारते जो थकते ही नही ।
सँवरना ही है तो किसी की नजरो में सँवरिये जनाब
काँच के आईने से खुद का मिजाज पूछा नहीं करते
आईने मे ढालती हुं खुद को,
कुछ खास करने के लिये
आस्मान मे पक्षी बनकर उडती हुं,
कुछ नया पाने की कोशिश मे
बेमिसाल हुं और कुछ कमाल भी हु,
नायाब अपने आईने की तरह
जब भी मुस्कुराती हुं और रोती हुं,
तो हमेशा ये आईना मेरे सामने होता हैं
सुनो,
सोंचता हूँ आईना बन जाऊं तुम्हारा।
जब भी झांकोगे मुझमें,
तुमको तुम ही दिखोगे..।